balgobin bhagat class 10 | बालगोबिन भगत

balgobin bhagat class 10 | बालगोबिन भगत | openclasses




 पाठ-11 

 बालगोबिन भगत  


balgobin bhagat pdf
बाल गोबिन भगत pdf



 ध्वनि प्रस्तुति 

bal gobin bhagat Audio





 सारांश 


balgobin bhagat Saransh
बालगोबिन भगत पाठ का सार


'बालगोबिन भगत' एक अनूठी रचना है। गाँव के जन-जीवन को लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी ने बड़ी सुंदरता से इस कहानी में उकेरा है। इसमें लेखक बालगोबिन जी के माध्यम से सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करते हुए नज़र आते हैं। भारतीय संस्कृति में साधु-संतों का विशेष रूप से मान-सम्मान किया जाता है। उनकी वेशभूषा देखकर ही लोग उन्हें आदर भाव देने लगते हैं। लेखक अपनी कहानी से साधु-संतों की सही परिभाषा को समाज के समक्ष प्रस्तुत करता है। उसके अनुसार मात्र साधुओं से वस्त्र धारण कर लेना और घर-परिवार छोड़ देना, व्यक्ति को साधु-संत नहीं बना सकता। साधु-संत बनने के लिए उनके आदर्शों को जीवन में उतारना सही अर्थों में साधुत्व कहलाता है। बालगोबिन ने परिवार को नहीं छोड़ा अपने कर्त्तव्यों को पूरी निष्ठा के साथ निभाया है। वह कभी झूठ नहीं बोले, सबके साथ खरा व्यवहार करते थे, बिना पूछे किसी की चीज़ नहीं लेते थे, हमेशा भजन गाते, खेती करके जो कुछ मिलता उसे भगवान को भोग लगाए बिना स्वयं नहीं लेते थे। उनके ये गुण उन्हें साधु-संतों की श्रेणी में सबसे ऊपर खड़ा करते थे। उन्होंने समाज में चली आ रही सड़ी-गली परंपराओं को तोड़ा। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि उनके बेटे की मृत्यु के पश्चात अपनी बहु के भाई को उसका दूसरा विवाह करने का आदेश दे दिया। बालगोबिन जैसे सच्चे साधु समाज में अब लुप्त हो गए हैं।




बालगोबिन भगत पाठ का सार


बालगोबिन भगत रेखाचित्र के माध्यम से रामवृक्ष बेनीपुरी ने एक ऐसे विलक्षण चरित्र का उद्घाटन किया है जो मनुष्यता ,लोक संस्कृति और सामूहिक चेतना का प्रतीक है। वेश भूषा या बाह्य आडम्बरों से कोई सन्यासी हो सकता है , लेकिन सन्यास का असली आधार जीवन के मानवीय सरोकार होते हैं . बालगोबिन भगत इसी आधार पर लेखक को सन्यासी लगते हैं . इस पाठ के माध्यम से सामाजिक रूढ़ियों पर भी प्रहार किया गया है साथ ही हमें ग्रामीण जीवन की झाँकी भी दिखाई गयी है . बालगोबिन भगत ,कबीरपंथी एक गृहस्थ संत थे . उनकी उम्र साठ से ऊपर रही होगी . बाल पके थे . कपड़े के नाम पर सिर्फ एक लंगोटी ,सर्दी के मौसम में एक काई कमली, रामनामी चन्दन और गले में तुलसी की माला पहनते थे . उनके घर में उनका एक बेटा और बहु रहते थे . वे खेतिहर गृहस्थ थे . झूठ ,छल प्रपंच से दूर रहते . दो टूक बातें करते . कबीर को अपना आदर्श मानते थे ,उन्ही के गीतों को गाते . अनाज पैदा पर कबीर पंथी मठ में ले जाकर दे आते और वहाँ से जो मिलता ,उसी से अपना गुजर बसर करते . उनका गायन सुनने के लिए गाँव वाले इकट्ठे हो जाते .


धान के रोपनी के समय में उनके गीत सुनकर बच्चे झूमने लगते , मेढ़ पर खड़ी औरतें के होंठ काँप उठते थे .रोपनी करने वाले की अंगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती थीं  . कार्तिक ,भादों ,सर्दी - गर्मी हर मौसम में बाल गोबिन सभी को अपने गायन से शीतल करते।


बालगोबिन भक्त आदमी थे। उनकी भक्ति साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखने को मिला ,जिस दिन उनका एक मात्र पुत्र मरा , वे रुदन के बदले उत्सव मनाने को कहते थे। उनका मानना था कि आत्मा-परमात्मा से मिल गयी है। विरहणी अपनी प्रेमी से जा मिली। वे आगे एक समाज सुधारक के रूप में सामने आते हैं। अपनी पतोहू द्वारा अपने बेटे को मुखाग्नि दिलाते हैं। श्राद्ध कर्म के बाद ,बहु के भाई को बुलाकर उसकी ( बहु की ) दूसरी शादी करने को कहते हैं। बहु के बहुत मिन्नतें करने पर भी वे अटल रहते हैं। इस प्रकार वे विधवा विवाह के समर्थक के रूप में हमारे सामने आते हैं।


बालगोबिन की मौत उन्ही के व्यक्तित्व  के अनुरूप शांत रूप से हुई। अपना नित्य क्रिया करने वे गंगा स्नान करने जाते ,बुखार में भी  लम्बे उपवास करके मस्त रहते। लेकिन नेम ब्रत न छोड़ते। दो जून गीत ,स्नान ध्यान ,खेती बारी उनके मुख्य काम थे । अंत समय बीमार पड़कर वे परंपरा को प्राप्त हुए। भोर में उनका गीत न सुनाई पड़ा। लोगों ने जाकर देखा तो बालगोबिन स्वर्ग सिधार गए हैं।



  Q&A  


balgobin bhagat Question Answer
balgobin bhagat Prashnottar

प्रश्न 1. खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

उत्तर- बालगोबिन भगत बेटा-पतोहू से युक्त परिवार, खेतीबारी और साफ़-सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे, फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी-खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।


प्रश्न 2.भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

उत्तर- भगत की पुत्रवधू उन्हें इसलिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि भगत के इकलौते पुत्र और उसके पति की मृत्यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। स्वयं भगत वृद्धावस्था में हैं। वे नेम-धर्म का पालन करने वाले इंसान हैं, जो अपने स्वास्थ्य की तनिक भी चिंता नहीं करते हैं। वह वृद्धावस्था में अकेले पड़े भगत को रोटियाँ बनाकर देना चाहती थी और उनकी सेवा करके अपना जीवन बिताना चाहती थी।


प्रश्न 3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?

उत्तर- भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर औरों की तरह शोक और मातम नहीं मानाया। वे मृत बेटे के सामने बैठकर मस्ती और तल्लीनता में कबीर के पद गाते रहे। वे मृत्यु को आत्मा-परमात्मा का मिलन मानकर इससे दुखी होने के बजाय खुश होने का समय मान रहे थे। वे अपनी पुत्रवधू को भी आनंदोत्सव मनाने के लिए कहते जा रहे थे।


प्रश्न 4. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा को अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत साठ वर्ष से अधिक उम्र वाले गोरे-चिट्टे इंसान थे। उनके बाल सफ़ेद हो चुके थे। उनका चेहरा सफ़ेद बालों से जगमगाता रहता था। कपड़ों के नाम पर उनके शरीर पर एक लँगोटी और सिर पर कनफटी टोपी धारण करते थे बालगोबिन भगत और गले में तुलसी की बेडौल माला पहने रहते थे। उनके माथे पर रामानंदी टीका सुशोभित होता था। सर्दियों में वे काली कमली ओढ़े रहते थे।


प्रश्न 5. बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?

उत्तर- बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के लिए कुतूहल का कारण थी। वे अत्यंत सादगी, सरलता और नि:स्वार्थ भाव से जीवन जीते थे। उनके पास जो कुछ था, उसी में काम चलाया करते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे उपयोग में न लाते थे। इस नियम का वे इतना बारीकी से पालन करते कि दूसरे के खेत में शौच के लिए भी न बैठते थे। इसके अलावा दाँत किटकिटा देने वाली सरदियों की भोर में खुले आसमान के नीचे पोखरे पर बैठकर गाना, उससे पहले दो कोस जाकर नदी स्नान करने जैसे कार्य लोगों के आश्चर्य का कारण थी।

प्रश्न 6. पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत सुमधुर कंठ से इस तरह गाते थे कि कबीर के सीधे-सादे पद भी उनके मुँह से निकलकर सजीव हो उठते थे। उनके गीत सुनकर बच्चे झूम उठते थे, स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते थे और काम करने वालों के कदम लय-ताल से उठने लगते थे। इसके अलावा भादों की अर्धरात्रि में उनका गान सुनकर उसी तरह चौंक उठते थे, जैसे अँधेरी रात में बिजली चमकने से लोग चौंक कर सजग हो जाते हैं।

प्रश्न 7.कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। यह पाठ के निम्नलिखित मार्मिक प्रसंगों से ज्ञात होता

भगत ने अपने इकलौते पुत्र के निधन पर न शोक मनाया और न उसके क्रिया-कर्म को ज्यादा तूल दिया।

उन्होंने पुत्र केशव को स्वयं मुखाग्नि न देकर अपनी पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलवायी।

उन्होंने विधवा विवाह के समर्थन में कदम उठाते हुए उसके भाई को कहा कि इसको साथ ले जाकर दुबारा विवाह करवा देना।

वे साधुओं के संबल लेने और गृहस्थों के भिक्षा माँगने का विरोध करते हुए तीस कोस दूर गंगा स्नान करने जाते और उपवास रखते हुए यह यात्रा पूरी करते थे।

प्रश्न 8. धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह झंकृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- आषाढ़ महीने की रिमझिम के बीच सारा गाँव खेतों में उमड़ पड़ा है। शीतल पुरवाई चल रही है। आसमान बादलों से आच्छादित है। कहीं हल चल रहे हैं कहीं रोपनी हो रही है। बच्चे पानी भरे खेत में खेल रहे हैं। औरतें कलेवा लिए मेंड़ पर बैठी हैं। इसी समय भगत का कंठ फूट पड़ता है और उनके स्वरों की गूंज आसपास के लोगों को झूमने के लिए विवशकर देती है। इसे सुनकर बच्चे झूमने लगते हैं, स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते हैं और गीत की लय-ताल पर अँगुलियाँ रोपाई करने लगती हैं तथा कदम उठने लगते हैं।




रचना और अभिव्यक्ति


प्रश्न 1. पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?

उत्तर- बालगोबिन ‘भगत का पहनावा और आचरण कबीर पंथियों जैसा था। वे कबीर को साहब मानते थे और उनसे असीम श्रद्धा और विश्वास रखते थे। कबीर के प्रति उनकी श्रद्धा निम्नलिखित रूपों में प्रकट हुई है-

  • उनका पहनावा कबीर पंथियों जैसा था।
  • उनके गले में तुलसी की माला और मस्तक पर रामानंदी टीका होता है।
  • वे अपने खेत की सारी उपज कबीरपंथी मठ पर ले जाकर चढ़ावे के रूप में अर्पित कर देते थे और जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता उसी से घर चलाते
  • वे कबीर के समान खरा-खरा व्यवहार करते और दूसरे की वस्तु अस्पृश्य समझते।
  • उन्होंने कबीर के पदों का गायन करते हुए द्रिन बिताया।
  • उन्होंने आत्मा को परमात्मा का अंश मानकर मृत्यु को दोनों के मिलन का शुभ अवसर बताया। उन्होंने कबीर की भाँति जीवन को नश्वर बताया।


प्रश्न 2. आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?

उत्तर- मेरी दृष्टि में भगत की कबीर पर श्रद्धा के अनेक कारण रहे होंगे–

  • कबीर भी घर-परिवार के साथ रहते हुए साधुओं जैसा जीवन बिताते थे।
  • कबीर वायाडंबरों से दूर रहकर सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करने वाले थे। यह भगत को पसंद आया होगा।
  • कबीरदास का ‘सादा जीवन उच्च विचार’ भगत को पसंद आया होगा।
  • भगत को कबीर का खरा-खरा व्यवहार करना बहुत पसंद आया होगा।


प्रश्न 3. गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है?

उत्तर- भारत गाँवों का देश है। यहाँ की 80 प्रतिशत जनसंख्या के जीवन निर्वाह का साधन कृषि है। भारतीय कृषि मानसून पर आधारित है। मानसून की शुरुआत वर्षा के पहले महीने आषाढ़ से शुरू होती है। आषाढ़ आते ही गाँववासी बादलों की राह देखते हैं। बादलों के बरसते ही वे अपने कृषि कार्यों की शुरूआत कर देते हैं। खेतों की जुताई-बुबाई, धान की रोपाई जैसे कार्य शुरू कर दिए जाते हैं। इसी महीने में गरमी की तपन से राहत मिलती है। यह महीना ग्रामीण बच्चों के लिए बड़ा ही आनंददायी होता है। पानी भरे खेतों की कीचड़ में खेलना उन्हें बहुत रुचिकर लगता है। इस समय गाँव के सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश का उल्लास देखते ही बनता है।


प्रश्न 4. ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।” क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति साधु’ है?

उत्तर- साधु प्रायः गेरुए वस्त्रों में या रामनामी वस्त्र लपेटे नज़र आते हैं। उनके बढ़े दाढ़ी और जटाजूट उनके साधु होने के साधन से दिखते हैं पर यह आवश्यक नहीं कि गेरुआ वस्त्र पहनने वाला हर व्यक्ति साधु ही हो। इस कलयुग में ढोंगियों ने भी यही वस्त्र अपना लिया है, इसलिए पहनावे के आधार पर किसी को साधु नहीं माना जा सकता है।

वास्तव में साधु की पहचान उसके पहनावे के आधार पर न करके उसके विचार और व्यवहार पर करना चाहिए। आडंबरहीन जीवन, सद्व्यवहार, सत्यवादिता, परोपकार की भावना पहनावे की सादगी एवं विचारों की उच्चता देखकर किसी भी व्यक्ति को साधु की श्रेणी में रखा जा सकता है।


प्रश्न 5. मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?

उत्तर- यह नि:संदेह सत्य है कि मोह और प्रेम में अंतर होता है, इसे भगत के जीवन की इन दो घटनाओं के आधार पर सत्य सिद्ध किया जा सकता है

लोग अपने प्रियजनों की मृत्यु पर रोते-धोते हैं यह उनका मोह है परंतु भगत अपने बेटे से प्रेम करते हैं। वे जीते जी उसे प्रेम का अधिक हकदार मानते रहे और उसकी मृत्यु पर आत्मा-परमात्मा का मिलन माना।

भगत अपने बुढ़ापे में अकेला होने पर भी बहू को उसके भाई के साथ भेज देते हैं। अपने बुढ़ापे से मोह नहीं दिखाते हैं, परंतु बहू से प्रेम करते हुए उसके भाई से उसका पुनर्विवाह करने का आदेश देते हैं।



अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न 1.लेखक बालगोबिन भगत को गृहस्थ साधु क्यों मानता है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत घर-परिवार वाले आदमी थे। उनके परिवार में उनका बेटा और पतोहू थे। उनके पास खेतीबारी और साफ़ सुथरा मकान था। इसके बाद भी बालगोबिन भगत साधुओं की तरह रहते और साधु की सारी परिभाषाओं पर खरा उतरते थे, इसलिए लेखक ने भगत को गृहस्थ साधु माना है।


प्रश्न 2. ‘भगत अपनी सब चीज़ साहब की मानते थे’, उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत अपनी सब चीज़ साहब की मानते थे, इसका उदाहरण यह है कि उनके खेत में जो कुछ पैदा होता था, उसे सिर पर लादकर ‘साहब’ के दरबार में ले जाते थे। उस दरबार अर्थात् मठ में उसे भेंट स्वरूप रख लिया जाता और उन्हें जो कुछ प्रसाद स्वरूप दिया जाता, उसी में गुज़ारा करते थे।


प्रश्न 3. लेखक बालगोबिन भगत को गृहस्थ साधु मानता था पर वह भगत के किस अन्य गुण पर मुग्ध था और क्यों?

उत्तर- लेखक भगत को गृहस्थ साधु मानता था पर वह भगत के मधुर गान पर मुग्ध था, जिसे कोई भी सदा-सर्वदा सुन सकता था। वे कबीर के सीधे-सादे पदे गाते थे पर उनके कंठ से लय-तालबद्ध होकर जब निकलते तो सजीव हो उठते थे।

प्रश्न 4. बालगोबिन भगत के संगीत को जादू क्यों कहा गया है?

उत्तर- बालगोबिन भगत का संगीत हर आयुवर्ग के लोगों पर समान रूप से असर करता था। उनका स्वर अचानक एक मधुर स्वर तरंग झंकृत-सी हो उठती है। उनके मधुर गान को सुनकर बच्चे झूम उठते थे, मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ गुनगुना उठते थे, हलवाहों के पैर ताल से उठने से लगते थे और रोपनी करने वालों की अँगुलियाँ क्रम से चलने लगती थीं।


प्रश्न 5. भगत प्रभातियाँ किस महीने में गाया करते थे? उनके प्रभाती गायन का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भगत प्रभातियाँ कार्तिक से फाल्गुन महीने तक गाया करते थे। इन महीनों में वे कड़ाके की सरदी में तड़के भोर में उठ जाते थे। वे नदी स्नान को जाते और लौटते समय पोखर के भिंडे पर चटाई बिछाकर पूरब की ओर मुँह करके प्रभातियाँ टेरना शुरू कर देते। गाते-गाते इतने सुरूर और उत्तेजना से भर जाते कि श्रमबिंदु छलक उठते थे।


प्रश्न 6. भगत का आँगन नृत्य-संगीत से किस तरह ओत-प्रोत हो उठता था?

उत्तर- गरमियों में भगत और उनकी प्रेमी मंडली आँगन में आसन जमाकर बैठ जाते। वहाँ पुँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। बालगोबिन एक पद गाते, प्रेमी-मंडली उसे दोहराती-तिहराती। धीरे स्वर एक निश्चित लय, ताल और गति से ऊँचा होने लगता और गाते-गाते भगत नाचने लगते। इस प्रकार सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत हो जाती।


प्रश्न 7. भगत अपने सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?

उत्तर- बालगोबिने भगत का इकलौता बेटा कुछ सुस्त और बोदा-सा था। भगत का मानना था कि ऐसे लोगों पर ज्यादा निगरानी रखते हुए प्यार करना चाहिए क्योंकि ये निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। इस कारण भगत अपने उस बेटे को अधिक प्यार करते थे।


प्रश्न 8. पुत्र की मृत्यु के अवसर पर भगत अपनी पतोहू को परंपरा से हटकर कौन-सा कार्य करने को कह रहे थे और क्यों?

उत्तर- पुत्र की मृत्यु के अवसर पर भगत तल्लीनता से गाए जा रहे थे और उनकी पतोहू विलाप कर रही थी। इसी समय भगत अपनी पतोहू से रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। भगत ऐसा इसलिए कह रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि मृत्यु | खुशी का अवसर है। इस समय आत्मा और परमात्मा का मिलन हो जाता है।


प्रश्न 9. भगत की किस दलील के आगे उनकी पतोहू की एक न चली?

उत्तर- भगत ने अपने बेटे की श्राद्ध की अवधि खत्म होते ही अपनी पतोहू के भाई को बुलवाया और आदेश दिया कि इसकी। दूसरी शादी कर देना। भगत की पतोहू उनके बुढ़ापे का ध्यान रखकर उन्हें छोड़कर नहीं जाना चाहती थी, पर भगत ने कहा कि यदि तू न गई तो मैं घर छोड़कर चला जाऊँगा। इस दलील के आगे उसकी एक न चली।

प्रश्न 10. भगत की मृत्यु उन्हीं के अनुरूप हुई, कैसे? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जिस तरह के टेक और नेम-व्रत वाली भगत की दिनचर्या थी, उसी प्रकार उनकी मृत्यु हुई। वे अपने गायन के माध्यम से अपने साहब की निकटता पाना चाहते थे। ऐसा उन्होंने मृत्यु से पूर्ण सायंकाल तक गीत गाकर किया। इसके अलावा वे जीवन में दोनों समय स्नान-ध्यान करते थे। इसे उन्होंने आमरण निभाया। इस तरह हम कह सकते हैं कि भगत की मृत्यु । उन्हीं के अनुरूप हुई।

प्रश्न 11.बालगोबिन भगत ने महिलाओं की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए क्या किया?

उत्तर- बालगोबिन भगत ने महिलाओं की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए दो कार्य किए 

  • उन्होंने अपने पुत्र को अपनी पतोहू से मुखाग्नि दिलाकर महिलाओं को पुरुषों के बराबर लाने का प्रयास किया।
  • अपने पुत्र की मृत्यु ने पतोहू के भाई को बुलवाकर आदेशात्मक स्वर में कहा, ”इसकी दूसरी शादी कर देना”। इस प्रकार विधवा विवाह के माध्यम से उन्होंने नारियों की सामाजिक स्थिति को सुधारना चाहा।


प्रश्न 12. बालगोबिन भगत अपने साधु और गृहस्थ होने का स्वाभिमान कैसे बनाए रखते थे? उनकी गंगा-स्नान यात्रा के आलोक में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत प्रति वर्ष अपने घर से तीस कोस दूर गंगा स्नान को जाते थे। इस यात्रा में चार-पाँच दिन लग जाते थे। भगत इतने स्वाभिमानी थे कि पैदल आते-जाते किंतु किसी का सहारा न लेते। वे मानते थे कि साधु को संबल लेने का के या हक। इसी प्रकार वे रास्ते में उपवास कर लेते पर किसी से माँगकर न खाते क्योंकि वे कहते थे कि गृहस्थ किसी से भिक्षा क्यों माँगे। इस प्रकार उन्होंने साधु और गृहस्थ होने के स्वाभिमान को बनाए रखा।



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पाठ-बालगोबिन भगत 
लेखक-रामवृक्ष बेनीपुरी


बालगोबिन भगत पाठ का सार

बालगोबिन भगत गृहस्थ थे . कबीर को अपना साहब मानते थे . उन्ही के गीतों को गाते और उनके आदेशों पर चलते . स्पष्टवादी थे, किन्तु झगड़ालू नहीं थे . खेती की उपज से जो भी मिलता ,सिर पर लादकर साहब के दरबार में ले जाते . प्रसाद स्वरूप जो कुछ उन्हें मिलता, उसी से गुजारा करते . बालगोबिन भगत का गायन सुनने वाले मस्त होकर थिरकने लगते थे . लेखक को बालगोबिन भगत के संगीत का चरम –उत्कर्ष उस दिन देखने को मिला ,जिस दिन उनका इकलौता बेटा मर गया था . बेटे की लाश को सफेद कपड़े से ढककर सिरहाने एक दीपक जला दिया . उनका मानना था कि पुत्र की मौत पर रोने की अपेक्षा उत्सव मनाना चाहिए . क्योंकि आत्मा परमात्मा के पास चली गई,विरहिणी अपने प्रेमी से जा मिली . बालगोबिन भगत ने अपनी पुत्रवधू के हाथों अपने पुत्र की चिता को अग्नि दिलवाकर सामाजिक कुप्रथा पर प्रहार किया है . पुत्र के क्रिया-कर्म के बाद पतोहू को उसके भाई के साथ उसके घर दूसरी शादी के लिए भेज दिया .

1. बालगोबिन भगत पाठ के गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ---

बालगोबिन भगत मँझोले कद के गोरे-चिट्टे आदमी थे ।साठ के उपर के ही होंगे | बाल पक गए थे ।लम्बी दाड़ी या जटाजूट तो नहीं रखते थे,किन्तु हमेशा उनका चेहरा सफेद बालों से ही जगमग किए रहता | कपड़े बिलकुल कम पहनते थे । कमर में एक लंगोटी मात्र और सिर में कबीरपंथियों की सी कनफटी टोपी।

जब जाड़ा आता एक काली कमली ऊपर से ओढ़े रहते । मस्तक पर हमेशा चमकता हुआ रामानंदी चंदन,जो नाक के एक छोर से ही ,औरतों के टीके की तरह, शुरू होता | गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बाँधे रहते । ऊपर की तस्वीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधू थे | नहीं बिलकुल गृहस्थ |उनकी गृहिणी की तो मुझे याद नहीं ,उनके बेटे और पतोहू को मैंने देखा था | थोड़ी खेतीबाड़ी भी थी,एक अच्छा साफ सुथरा मकान भी था |

(1) बालगोबिन भगत सिर पर क्या पहने रहते थे ?

(अ) कबीर पंथियों जैसी कनपटी टोपी 
(ब) काली टोपी
(स) रामानंदी टोपी 
(द) इनमें से कोई भी नहीं।

(2) बालगोबिन भगत की उम्र कितनी थी ?

(अ) तीस वर्ष 
(ब) चालीस वर्ष
(स) साठ वर्ष के ऊपर 
(द) साठ वर्ष

(3) बालगोबिन भगत जाड़ो में क्या ओढ़ लेते थे ?

(अ) चादर 
(ब) नीला कंबल
(स) काली कमली 
(द) शाल

(4) रामानंदी चंदन का टीका कौन लगाता था ?

(अ) कबीरदास 
(ब) तुलसीदास
(स) रामानंद 
(द) बालगोबिन भगत

(5) बालगोबिन भगत गले में किसकी माला पहनते थे ?

(अ) मोतियों की 
(ब) तुलसी की जड़ो की
(स) हीरों की 
(द) इनमें से कोई नहीं

उत्तर -
1.अ  2.स  3.स  4.द  5.ब


2. बालगोबिन भगत पाठ के गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ---

बालगोबिन भगत खेती-बाड़ी करते थे । उनके पास एक साफ-सुथरा मकान भी था जिसमें वह अपने बेटे और बहू के साथ रहते थे । लेकिन वो आचार, विचार, व्यवहार व स्वभाव से साधु थे । वो संत कबीर को अपना आदर्श मानते थे । कबीर के उपदेशों को उन्होंने पूरी तरह से अपने जीवन में उतार लिया था । वो कबीर को “साहब” कहते थे और उन्हीं के गीतों को गाया करते थे ।

वो कभी झूठ नहीं बोलते थे । सबसे खरा व्यवहार रखते थे । दो टूक बात कहने में संकोच नहीं करते थे लेकिन किसी से खामखाह झगड़ा मोल भी नहीं लेते थे । किसी की चीज को कभी नहीं छूते थे और ना ही बिना पूछे व्यवहार में लाते ।

(1)बालगोबिन भगत अपने घर में किसके साथ रहते थे?

(अ) बेटे और बहू के साथ 
(ब) पत्नी के साथ
(स) अपने भाई के साथ 
(द) अकेले रहते थे

(2) बालगोबिन भगत किसे अपना आदर्श मानते थे?

(अ) कबीर को 
(ब) अपने पिता को
(स) रामानंद को 
(द) किसी को भी नहीं

(3) बालगोबिन भगत साहब किसे कहते थे ?

(अ) कबीरपंथी अनुयायियों को 
(ब) कबीर को
(स) भगवान को 
(द) रामानुजाचार्य को

(4) भगत किसके गीतों को गाया करते थे ?

(अ) मीरा के 
(ब) नरसी के
(स) कबीर के 
(द) इन सभी के

(5) भगत लोगों के साथ कैसा व्यवहार रखते थे ?

(अ) खरा व्यवहार 
(ब) बुरा व्यवहार
(स) उपर्युक्त दोनों 
(द) इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर -
1.अ  2.अ  3.ब  4.स  5.अ



3. बालगोबिन भगत पाठ के गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ---

बेटे के क्रिया-कर्म को तूल नहीं दिया ; पतोहू से ही आग दिलाई | किन्तु ज्योंही श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई, पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना । इधर पतोहू रो-रोकर कहती – मैं चली जाऊँगी तो कौन बुढ़ापे में आपके लिए भोजन बनाएगा; बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लू पानी देगा ? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए ! लेकिन भगत का निर्णय अटल था | तू जा, नहीं तो मैं ही इस घर को छोड़कर चल दूँगा – यह थी उनकी आखिरी दलील और इस दलील के आगे बेचारी की क्या चलती |

(1) भगत ने अपने बेटे के मृत शरीर को किससे आग दिलाई ?

(क) स्वयं
(ख) गाँव वालों से
(ग) अपनी पतोहू से
(घ) मठ के पुजारियों से

(2) पतोहू को घर भेजते समय उन्होंने क्या आदेश दिया ?

(क) इसकी दूसरी शादी करा देना
(ख) इसे अपने घर ले जा के रखो
(ग) इसे जल्दी वापस ले आना
(घ) उपर्युक्त सभी

(3) भगत की पतोहू अपने घर क्यों नहीं जाना चहाती थी ?

(क) अपना हिस्सा खोना नहीं चाहती थी
(ख) उसके भाई का घर बड़ा नहीं था
(ग) भगत के बुढ़ापे के कारण
(घ) इनमें से कोई नहीं

(4) पतोहू को उसके भाई के घर भेजने के लिए क्या दलील दी ?

(क) मैं खाना खाना छोड़ दूँगा
(ख) मैं समाधि ले लूँगा
(ग) मैं ये घर छोड़ दूँगा
(घ) मैं ये संसार छोड़ दूँगा

(5) गद्यांश में भगत का कौन सा रूप सामने आता है ?

(क) संत का
(ख) निर्दयी का
(ग) गरीब का
(घ) सेठ का

उत्तर -
1. ग  2.क  3.ग  4.ग  5.क



अभ्यास के लिए 
बहुविकल्पीय प्रश्न

MCQs


1. बालगोबिन किस किसके व्यक्तित्व से प्रभावित थे ?

(अ) कबीरदास
(ब) तुलसीदास
(स) मीराबाई
(द) उपर्युक्त सभी

2. बालगोबिन भगत की शारीरिक बनावट कैसी थी ?

(अ) लम्बे कद के गोर चिट्टे 
(ब) मँझले कद के गोरे चिट्टे
(स) मंझोले कद के काले 
(द) गोरे-चिट्टे कद के काले

3. बालगोबिन के व्यक्तित्व की क्या विशेषता है ?

(अ) दो दूक बात करते थे
(ब) दूसरों के खेत में शौच नहीं करते थे।
(स) सबसे खरा व्यवहार रखते थे।
(द) उपर्युक्त सभी

4. बालगोबिन भगत किस नदी में स्नान करने जाते थे?

(अ) यमुना
(ब) गंगा
(स) नर्मदा
(द) सोन

5. बालगोबिन पुत्र की चिता को मुखाग्नि किससे दिलवाते हैं?

(अ) भाई से
(ब) पुत्रवधू से
(स) पोती से
(द) पत्नी से

6. भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा का क्या कारण था?

(अ) कबीर ईश्वर के निर्गुण निराकार रूप के उपासक थे।
(ब) कबीर ने गृहस्थ जीवन जीया था।
(स) कबीर ने सामाजिक बुराइयों का विरोध किया था।
(द) उपर्युक्त सभी

7. भगत की पुत्र वधू जिन्हें अकेले नहीं छोड़ना चाहती थी?

(अ) पति को
(ब) पुत्र को
(स) ससुर को
(द) उपर्युक्त सभी

8. क्या कारण था कि बालगोबिन भगत इकलौते बेटे की मौत पर शोक नहीं मना रहे थे?

(अ) क्योंकि उनके अंदर ममता का अभाव था।
(ब) क्योंकि वह उनका वास्तविक पुत्र नहीं था।
(स) क्योंकि वे कबीर की तरह निर्गुण निराकार ब्रह्म पर आस्था रखते थे।
(द) क्योंकि वे मृत्यु को एक शोकाकुल मंजर मानते थे।

9. बालगोबिन की कौन सी चीज लोगों को अचरज में डालती थी?

(अ) यौगिक क्रिया
(ब) पठन-पाठन
(स) भ्रमण
(द) दिनचर्या

10. बालगोबिन भगत पतोहू के पुनर्विवाह के रूप में समाज की किस समस्या का समाधान प्रस्तुत करना चाहते हैं?

(अ) बाल विवाह
(ब) विधवा विवाह
(स) परदा प्रथा
(द) सती प्रथा

11. लोगों को बालगोबिन भगत की मृत्यु का कब पता चला?

(अ) जब सांय भगत जी का गायन स्वर सुनाई नहीं दिया।
(ब) भोर में जब भगत जी का गायन स्वर सुनाई नहीं दिया।
(स) दोपहर में जब भगत जी का गायन स्वर सुनाई नहीं दिया।
(द) इनमें से कोई नहीं

12. बालगोबिन भगत की आजीविका का साधन क्या था?

(अ) भिक्षा
(ब) खेतीबाड़ी
(स) गायन
(द) शिक्षण

13. साधु की पहचान किस आधार पर की जानी चाहिए?

(अ) गले में पहनी माला
(ब) माथे पर लगा तिलक
(स) वेशभूषा
(द) सुंदर आचार विचार से

14. बालगोबिन भगत अपना गुजर-बसर किससे करते थे ?

(अ) खेतों में जो अनाज होता उससे
(ब) कबीर के मठ से प्रसाद के रूप में जो अनाज मिलता उससे
(स) भिक्षा माँगकर
(द) इनमें से कोई नहीं

15. धान की रोपाई कब की जाती थी ?

(अ) आषाढ़ माह में 
(ब) सावन माह में
(स) भादों माह में 
(द) क्वार माह में

16. बालगोबिन भगत के खेतों में जो अनाज होता उसे सबसे पहले कहाँ ले कर जाते थे ?

(अ) अपने घर 
(ब) बाजार बेचने के लिए
(स) कबीर के मठ 
(द) इनमें से कोई भी नहीं

17. कबीर का मठ बालगोबिन के घर से कितना दूर था ?

(अ) दो कोस 
(ब) तीन कोस
(स) चार कोस 
(द) पाँच कोस

18. बालगोबिन भगत अपने खेत से कबीर के मठ तक अनाज किसमें लाद कर ले जाते थे ?

(अ) गाड़ी में 
(ब) सिर पर
(स) कंधों पर 
(द) पीठ पर

19. बालगोबिन भगत पाठ के लेखक का नाम चुनिए?

(अ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ब) रामवृक्ष बेनीपुरी
(स) रामचंद्र शुक्ल
(द) कबीर

20. मृत्यु पर कौन विजयी होता है?

(अ) इंसानियत से प्यार
(ब) मृत्यु पर चरम विश्वास
(स) रिश्तों से अलगाव
(द) उपर्युक्त सभी

उत्तर -

1. अ 2.ब 3. द 4. ब 5.ब

6. द 7. स 8. स 9. द 10. ब

11. ब 12.ब 13. द 14. ब 15. अ

16. स 17. स 18. ब 19. ब 20. ब





जय हिन्द : जय हिंदी 
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